गड़तांग गली तक पहुंचने का 2 किलोमीटर पैदल रास्ता है खतरनाक, भाजपा नेता लोकेंद्र ने जिलाधिकारी से की मांग
अरण्यरोदन टाइम्स(बलबीर परमार)
उत्तरकाशी।। वर्ल्ड हेरिटेज में शुमार उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में स्थित गड़तांग गली बनकर देशी विदेशी पर्यटकों के दीदार के लिए तैयार हो चुकी है। गड़तांग गली तक पहुंचने का 2 किलोमीटर पैदल रास्ता भी खतरनाक है।जिसके चलते भाजपा नेता लोकेंद्र बिष्ट ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इस रास्ते पर रेलिंग लगाने की मांग की है।
गौरतलब है कि उत्तरकाशी जिले के भैरव घाटी यानी लंका पुल से 2 किलोमीटर पैदल चलने पर कठोर चट्टानों को काटकर इसके साथ लोहे व लकड़ी के प्रयोग से आज से 300 साल पहले आवागमन, व्यापार व सीमा की सुरक्षा चौकियों तक पहुंचने के लिए इस खतरनाक ट्रैक इसका नाम गड़तांग गली है का निर्माणकिया गया।आज से करीब 300 साल पहले ये पैदल मार्ग ही तिब्बत तक जाने आने व तिब्बत से व्यापार के लिए आवाजाही का कामनकरते थे।। लेकिन समय के साथ साथ सड़कों के निर्माण व आने जाने के दूसरे सुगम रास्तों के निर्माण के बाद गड़तांग गली वीरान हो गई।मार्ग के प्रयोग में न आने व मार्ग की नियमित देखभाल न होने से ये क्षतिग्रस्त हो गई थी। आज के युग की ये एक ऐतिहासिक धरोहर व रोमांचित करने वाली धरोहर है।
मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र सिंह रावतजी ने इसके पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया और आज गड़तांग गली बनकर तैयार हो चुकी है।गड़तांग गली का सफर बहुत ही रोमांचित, साहसिक, नैसर्गिक सौंदर्य से पूर्ण, देवदार के जंगलों से गुजरते हुए जब 300 साल पुराने गढ़तांग गली को देखने आज देशी विदेशी पर्यटक पहुंचने लगे हैं।
गड़तांग गली को देखकर कल्पना करना भी दुष्कर हो जाता है कि किस तरह से इस कई सौ मीटर ऊंचे विशाल पत्थर जो कि वर्टिकल है यानी हैंगिंग कठोर पहाड़ को काटपीटकर लकड़ी के पुल को चट्टानों को काटकर इन कठोर चट्टानों पर लोहे के गार्डर, रॉड लगाकर देवदार के स्लीपर, तख़्तों को बिछाकर 130 मीटर लंबे ट्रैक को बनाया गया होगा ।। जबकि गहरी घाटी में जाट गंगा के बहाव को देखते आज भी डर से रूह कांप जाती है ।ये गड़तांग गली अकल्पनीय, अविश्वसनीय है और आश्चर्यजनक भी है।।
प्रशाशनिक आधार पर यह क्षेत्र गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत आता है। गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क की देखरेख में ही इस गड़तांग गली का पुनर्निर्माण हुवा और पार्क प्रशासन ही इसकी देखरेख करता है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई लगभग 3200 मीटर है।
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