दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर आज बीजेपी कार्यकर्ताओ ने भारतीय जनता पार्टी के झंडे का झण्डारोहण जगह जगह किया
अरण्यरोदन टाइम्स(बलबीर परमार)
उत्तरकाशी।। सीमान्त उत्तरकाशी में दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर आज सभी बीजेपी कार्यकर्ताओ ने भारतीय जनता पार्टी के झंडे का झण्डारोहण किया।। उसके बाद दीनदयाल उपाध्याय पार्क उत्तरकाशी में पंडित की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। इसके बाद गेवला बरसाली बूथ पर दीनदयाल की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर उनकी जीवनी पर गोष्ठी व चर्चा की गई। भाजपा मंडल अध्यक्ष देशराज बिष्ट ने जंहा मंडल कार्यालय में झंडा फहराया।वंही भाजपा नेता लोकेंद्र बिष्ट व भाजपा जिला अध्यक्ष रमेश चौहान ने भी पंडित दीनदयाल की मूर्ति पर पुष्प चढ़ाए।
इस बीच भाजपा नेता लेकेन्द्र बिष्ट ने उनकी जीवनी को याद करते हुए कहा।
यथा नाम-तथा गुण*-----ऐसा कथन भारतीय परम्परा में ख़ूब चर्चित है। 'दीनदयाल' अर्थात् ग़रीबों पर दया करने वाला।
ठीक इसी प्रकार समाज के अन्तिम व्यक्ति के उत्थान हेतु आजीवन प्रयास करने वाले तथा 'एकात्म मानववाद' के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का जीवन रहा। इनकी प्रतिभा व क्षमता के बारे में डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी कहते थे कि " यदि मुझे दो या तीन दीनदयाल और मिल जाएँ तो मैं भारतीय राजनीति को सम्पूर्ण रूप से बदल दूँ।
पंडित जी जब एम. ए. की पढ़ाई कर रहे थे तो नानाजी देशमुख के साथ रहते थे। एक दिन शाम को दोनों लोग सब्ज़ी लेने गए, रास्ते में लौटते समय दीनदयाल जी ने अपना हाथ जेब में डाला तथा ठिठककर खड़े हो गए। नाना जी से बोले कि -"जो दो पैसे हमने सब्ज़ी वाली बूढ़ी को दिए हैं, उनमें से एक सिक्का ख़राब था, उसका वह ग़रीब क्या करेगी? इसलिए हमें वह सिक्का बदलना है"और नाना जी के साथ वापस बाज़ार में गए। बूढ़ी सब्ज़ी वाली को बताया कि "हमने जो दो पैसे आप को दिए हैं उनमें से एक खोटा पैसा है, वह हमें वापस कर यह दूसरा पैसा ले लो।" इस पर बुढ़िया बोली कि मैं इतने सिक्कों में मैं उसे खोज नहीं पाऊँगी, तुम जाओ। लेकिन दीनदयाल जी नहीं माने तथा सिक्कों के ढेर से वह ख़राब सिक्का खोजा, नया पैसा उसे देकर वापस ले लिया। यह देखकर वह बूढ़ी सब्जीवाली विनम्र भाव से बोली-' बेटा! तुम एक अच्छे लड़के हो।'
इस प्रकार से ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के भी कल्याण, न्याय व उन्नयन के लिए आजीवन प्रयास करने वाले पं. दीनदयाल उपाध्याय का आज जन्मदिवस ( *२५सितम्बर* ) है, अत: हम उन्हें श्रद्धावनत भाव से याद करते हैं, साथ ही उनके प्रेरक मार्ग पर चलने की कामना करते हैं।
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